गौतम बुद्ध के जीवन के कई प्रेरक प्रसंग हैं, बुद्ध के जीवन का यह छोटा सा प्रसंग हमारे जीवन में एक नया परिवर्तन ला सकता है छोटी से कहानी है अंत तक ज़रूर पढ़े। और शेयर दोस्तों के साथ शेयर करें।
Gautam Buddha Story – भगवान बुद्ध की ये तीन कहानियाँ आपकी ज़िंदगी बदल देंगी
जीवन में आप चाहें जितनी अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ लो, कितने भी अच्छे शब्द सुनो, लेकिन जब तक आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते तब तक उसका कोई फायदा नहीं होगा।
गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध की कहानी – गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल
बहुत सालों पहले भारत में मगध नाम का एक राज्य था। वह राज्य बहुत ही संपन्न था। राज्य में एक सोनापुर नाम का गांव था जहां के लोग अपना सारा काम दिन में किया करते थे। लेकिन रात होते ही सारे लोग अपने घर के अंदर चले जाते और कोई भी रात के समय अपने घरों से बाहर नहीं निकलता था।
लोग ऐसा बस एक ही कारण से किया करते थे और वह था अंगुलिमाल। अंगुलिमाल बहुत ही खतरनाक डाकू था जो लोगों को लूटकर मार देता था। वह लोगों के बीच डर बनाए रखने के लिए मारे हुए व्यक्ति की उंगलियां काटकर उसका माला बनाकर पहनता था।
अंगुलिमाल मगध के एक गुफा में रहा करता था। वह जिस जंगल के गुफा में रहता था लोग वहां से भी गुजरने से डरते थे। क्योंकि सबको अंगुलिमाल से बहुत डर लगता था।
एक दिन गौतम बुद्ध सोनापुर से गुजर रहे थे कि तभी उन्होंने लोगों को चिंतित देखा। लोगों को इस तरह से परेशान देखकर गौतम बुद्ध ने उन सबसे पूछा, “क्या बात है आप सब इतने डरे हुए क्यों है?”
ऐसे में लोगों ने महात्मा बुद्ध के सवालों का जवाब दिया, “यहाँ एक डाकू अंगुलिमाल का बुरा प्रकोप है। वह लोगों को लूटकर मार देता है और उनकी उंगलियों को काटकर उसका माला बनाकर पहन लेता है। इसीलिए हमारे गांव के लोग बेहद डरे हुए हैं। अब आप ही बताइए कि हम क्या करें।”
“अच्छा ऐसी बात है। तो फिर वह अंगुलिमाल रहता कहां है?” महात्मा बुद्ध ने लोगों से पूछा।
ऐसे में एक व्यक्ति सामने आया और महात्मा बुद्ध को बोला, “वह जंगलों में रहता है। जंगलों के अंदर एक गुफा है जिसके अंदर अंगुलिमाल रहता है।”
यह सब सुन लेने के बाद महात्मा बुद्ध अंगुलिमाल से मिलने जंगल की ओर चल पड़े। सोनापुर गांव के लोगों ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी वह नहीं रुके और जंगल की ओर चल पड़े।
जैसे ही वह जंगल के पास जा पहुंचे तब अंगुलिमाल अपने गुफा में से निकलकर हाथ में तलवार लिए खड़ा हो गया। गौतम बुद्ध ने अंगुलिमाल को अनदेखा किया और आगे बढ़ चले। यह देखकर अंगुलिमाल बुद्ध का पीछा करने लगा। पीछा करते-करते अंगुलिमाल जोर से चिल्लाकर बोला, “ए सन्यासी रुक जा।”
“मैं तो रुक गया। तुम कब रखोगे? तुम अपनी यह हिंसा कब बंद करोगे?” महात्मा बुद्ध ने कहा।
ऐसे में अंगुलिमाल क्रोधित हो गया फिर उसने गौतम बुद्ध से कहा, “सन्यासी तु मुझे जानता नहीं है। मैं इस राज्य का सबसे शक्तिशाली मनुष्य हूँ।”
“मैं नहीं मानता कि तुम सबसे शक्तिशाली मनुष्य हो।” गौतम बुद्ध ने कहा।
यह सुनकर अंगुलिमाल बोला, “अच्छा अगर ऐसी बात है तो तुम ही बताओ की मैं ऐसा क्या कर जिससे तुम मनोगे?”
“तुम जाओ और उस पेड़ में से 10 पत्तियाँ तोड़कर लाओ।” महात्मा बुद्ध ने कहा।
महात्मा बुद्ध के कहने पर अंगुलिमाल ने वही किया। वह पेड़ के पास गया और उसमें से दस पत्तियाँ तोड़ लाया। फिर बुद्ध ने कहा, “जाओ अब इन पत्तियों को वापस से उस पेड़ मे जोड़ दो।”
यह सुनकर अंगुलिमाल अचंभित हो गया और उसने महत्मा बुद्ध से कहा, “ये कैसा बेहूदा मज़ाक है। भला कोई पत्तियों को तोड़कर वापस पेड़ से जोड़ सकता है क्या?”
ऐसे में बुद्ध ने कहा, “तुम खुद्को सबसे शक्तिशाली कहते हो और इन पत्तियों को जोड़ नही सकते। अगर तुम किसीको जोड़ नहीं सकते तो उसे तोड़ो मत। अगर तुम किसीको जीवन नहीं दे सकते तो उन्हें मारों मत।”
यह सुनकर अंगुलिमाल की आंखें खुल गई। वह बुद्ध के चरणों में गिर गया और उनसे माफ़ी माँगने लगा। इसके बाद से अंगुलिमाल बुरे काम करना छोड़ दिया और वह महात्मा बुद्ध का शिष्य बन गया।
मोरल ऑफ द स्टोरी – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि इंसान चाहे कितना भी बुरा क्यों ना हो वह बदल सकता है।
तो यह थी “Gautam Buddha Moral Stories in Hindi”। अगर आपको यह कहानियां अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और उन्हें भी गौतम बुद्ध के विचारों से अवगत कराए और उनके जीवन में परिवर्तन लेकर आए।
बुद्ध की सीख- अहंकार में किया काम निरर्थक साबित होता है, उसके पूरा होने में बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, इसलिए अहंकार से नहीं स्वच्छ मन से कार्य करना चाहिए।