गौतम बुद्ध के जीवन के कई प्रेरक प्रसंग हैं, गौतम बुद्ध की कहानियाँ हमे सुखी और सफल जीवन जीने के सूत्र बताती हैं। Gautam Buddha Story अपने दोस्तों के साथ share ज़रूर करें।
परेशानियां हर जगह हैं और हम परेशानियों से बच नहीं सकते, इसलिए सदा उनका सामना करें
गौतम बुद्ध
परेशानियों से डरे नहीं, उनका सामना करें
गौतम बुद्ध कौशांबी नगर में रह रहे थे। वहां की रानी गौतम बुद्ध का अलग-अलग तरीकों से अपमान करती थी। रानी ने अपने कुछ लोग, बुद्ध को अपमानित करने के लिए और परेशान करने के लिए उनके पीछे लगा दिए थे।
रानी के आदेश पर वे सभी लोग बुद्ध का विरोध कर रहे थे, लेकिन बुद्ध ने किसी से कुछ नहीं कहा। उस समय बुद्ध के साथ उनका एक शिष्य भी था, उसका नाम था आनंद।
आनंद ने बुद्ध से कहा, ‘मैं लगातार देख रहा हूं कि ये लोग जान-बूझकर हमारा अपमान कर रहे हैं। जहां हमारा अपमान होता है, ऐसी जगह हमें नहीं रुकना चाहिए।’
बुद्ध ने आनंद से पूछा, ‘हम कहां जाएंगे?’
आनंद ने कहा, ‘किसी और जगह चले जाएंगे। जहां ऐसे लोग ना हो’
बुद्ध बोले, ‘अगर वहां भी ऐसी ही परेशानियों बनीं, तो फिर कहां जाएंगे? और हम कब तक भागते रहेंगे? अपमान भी एक समस्या है। हम अहिंसा, धैर्य के साथ विनम्रता और शालीनता से ऐसे लोगों का सामना करेंगे।’
बुद्ध की सीख- परेशानियां हर जगह हैं, हम परेशानियों से बच नहीं सकते। इसीलिए समस्या चाहे कैसी भी हो, हमें उसका सामना करना चाहिए।
किसी व्यक्ति के लिए पहले से ही कोई राय न बनाएं
गौतम बुद्ध का एक खास शिष्य धम्माराम आश्रम में अपना काम करता और काम पूरा होने के बाद वह एकांत में चला जाता था। वह किसी से ज़्यादा बात-चीत भी नहीं करता था।
जब धम्माराम एकांत में ज्यादा रहने लगा तो अन्य शिष्यों को लगा कि इसे घमंड हो गया है। शिष्यों ने बुद्ध से धम्माराम की शिकायतें करनी शुरू कर दी। एक दिन बुद्ध ने धम्माराम से सभी शिष्यों के सामने पूछा, ‘तुम ऐसा क्यों करते हो?’
धम्माराम बोला, ‘आपने कहा है कि कुछ दिनों में आप ये संसार छोड़े देंगे तो मैंने ये विचार किया है कि जब आप चले जाएंगे तो हमारे पास सीखने के लिए क्या रहेगा? इसीलिए मैंने ये तय किया कि मैं एकांत और मौन को समझ लूं, ठीक से सीख लूं। ये दो काम आपके जीते जी मैं करना चाहता हूं।’
बुद्ध ने अन्य शिष्यों से कहा, ‘तुम सभी ने देखा कुछ और समझा कुछ। तुम्हारी आदत है कि तुम दूसरों की बुराई करते हो, इसीलिए तुम सभी ने धम्माराम की अच्छी बात को भी गलत रूप में लिया।’
बुद्ध की सीख- हमें किसी व्यक्ति को ठीक से जाने बिना उसके बारे में कोई राय नहीं बनानी चाहिए।
अगर कोई अच्छी बात सीखना चाहते हैं तो घमंड छोड़ दें
एक दिन बुद्ध के शिष्य आनंद ने पूछा, ‘आप प्रवचन देते समय ऊंचे स्थान पर बैठते हैं और सुनने वाले नीचे बैठते हैं। ऐसा क्यों?
बुद्ध ने आनंद से कहा, ‘एक बात बताओ, क्या तुमने कभी किसी झरने से पानी पिया है?’
आनंद बोला, ‘हां, मैंने झरने से पानी पिया है।’
बुद्ध ने पूछा, ‘तुमने पानी कैसे पिया?’
आनंद ने कहा, ‘झरना ऊपर से बह रहा था, मैं झरने के नीचे खड़ा हो गया और पानी पी लिया।’
बुद्ध बोले, ‘अगर झरने से पानी पीना है तो नीचे ही खड़े होना पड़ेगा। जो सत्संग, कथा या प्रवचन होता है, उसमें कहने वाला ऊपर बैठता है। उस कथा का संदेश ग्रहण करना है तो सुनने वाले को नीचे ही बैठना होगा। नीचे बैठने से हमारे स्वभाव में विनम्रता आती है, हमें अच्छी बातों को जीवन में उतारने की प्रेरणा मिलती है। ऐसा करने से हमारा घमंड दूर होता है।’
बुद्ध की सीख- अगर कोई अच्छी बात सीखना चाहते हैं तो सबसे पहले अहंकार छोड़ देना चाहिए। इसके बाद विनम्रता के साथ ही अच्छी बातों को जीवन में उतारा जा सकता है।