गौतम बुद्ध के जीवन के कई प्रेरक प्रसंग हैं, बुद्ध की कहानी “अहंकार का उपहार” हमारे जीवन में एक नया परिवर्तन ला सकती है छोटी सी कहानी है अंत तक ज़रूर पढ़े। और Gautam Buddha Story दोस्तों के साथ Share करें।

Gautam Buddha Story – भगवान बुद्ध की ये तीन कहानियाँ आपकी ज़िंदगी बदल देंगी

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आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये।

गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध की कहानी – अहंकार का उपहार

महात्मा बुद्ध के पास सेठ रत्नचंद दर्शन को आए तो साथ में ढेरों सामग्री उपहार स्वरूप लाए। वहाँ उपस्थित जन-समूह एक बार तो वाह-वाह कर उठा। सेठ रत्नचंद का सिर तो गर्व से तना जा रहा था। बुद्ध के साथ वार्तालाप प्रारंभ हुआ तो सेठ ने बताया कि इस नगर के अधिसंख्य चिकित्सालयों, विद्यालयों और अनाथालयों का निर्माण मैंने ही कराया है। आप जिस सिंहासन पर बैठे हैं वह भी मैंने ही भेंट किया है, आदि-आदि। कई दान सेठ जी ने गिनवा दिए। सेठ जी ने जब जाने की आज्ञा चाही तो बुद्ध बोले – “जो कुछ साथ लाए थे, सब यहाँ छोड़कर जाओ।”

सेठ जी चकित होकर बोले – ‘प्रभु, मैंने तो सब कुछ आपके समक्ष अर्पित कर दिया है।’

बुद्ध बोले – “नहीं, तुम जिस अहंकार के साथ आए थे उसी के साथ वापस जा रहे हो। यह सांसारिक वस्तुएँ मेरे किसी काम की नहीं। अपना अहम यहाँ त्याग कर जाओ, वही मेरे लिए बड़ा उपहार होगा।”

महात्मा बुद्ध का यह कथन सुनकर सेठ जी उनके चरणों में नतमस्तक हो गए। भीतर समाया हुआ सारा अहंकार अश्रु बनकर बुद्ध के चरणों को धो रहा था।

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बुद्ध की सीख- अहंकार में किया काम निरर्थक साबित होता है, उसके पूरा होने में बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, इसलिए अहंकार से नहीं स्वच्छ मन से कार्य करना चाहिए।

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