बड़े कार्य को सफल बनने के लिए एक सही योजना और सही तरीक़ा होना ज़रूरी है। गौतम बुद्ध की यह कहानी अंत तक ज़रूर पढ़े। और दोस्तों के साथ शेयर करें।
Gautam Buddha Story – भगवान बुद्ध की ये तीन कहानियाँ आपकी ज़िंदगी बदल देंगी
हमें हमारा जीवन तब कठिन लगने लगता है जब हम स्वयं को बदलने की बजाय परिस्थितियों को बदलने का प्रयास करते हैं
गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध की कहानी – बिना नींव का मकान
किसी समय एक नगर में राम और श्याम नामक दो धनी व्यापारी रहते थे। वे दोनों ही अपने धन और वैभव का बड़ा प्रदर्शन करते थे।
एक दिन राम अपने मित्र श्याम के घर उससे भेंट करने के लिए गया। राम ने देखा कि श्याम का घर बहुत विशाल और तीन मंजिला था। बुद्ध काल के समय तीन मंजिला घर होना बड़ी बात कहलाती थी और उसे बनाने के लिए बहुत धन और कुशल वास्तुकार की आवश्यकता होती थी। राम ने यह भी देखा कि नगर में सभी निवासी श्याम के घर को बड़े विस्मय से देखते थे और उसकी बहुत बड़ाई करते थे।
अपने घर वापसी पर राम बहुत उदास था कि श्याम के घर ने सभी का ध्यान खींच रखा है। उसने उसी वास्तुकार को बुलवाया जिसने श्याम का घर बनाया था। उसने वास्तुकार से श्याम के घर जैसा ही तीन मंजिला घर बनाने को कहा। वास्तुकार ने इस काम के लिए हामी भर दी और काम शुरू हो गया।
कुछ दिनों बाद राम काम का मुआयना करने के लिए निर्माण स्थल पर गया। जब उसने नींव खोदे जाने के लिए मजदूरों को गहरा गड्ढा खोदते देखा तो वास्तुकार को बुलाया और पूछा कि इतना गहरा गड्ढा क्यों खोदा जा रहा है।
“मैं आपके बताये अनुसार तीन मंजिला घर बनाने के लिए काम कर रहा हूँ,”
वास्तुकार ने कहा, “सबसे पहले मैं मजबूत नींव बनाऊँगा, फिर क्रमशः पहली मंजिल, दूसरी मंजिल और तीसरी मंजिल बनाऊंगा।”
राम ने कहा, “मुझे इस सबसे कोई मतलब नहीं है!”
“तुम सीधे ही तीसरी मंजिल बनाओ और उतनी ही ऊंची बनाओ जितनी ऊंची तुमने श्याम के लिए बनाई थी। नींव की और बाकी मंजिलों की परवाह मत करो!”
वास्तुकार ने कहा, “ऐसा तो नहीं हो सकता”
राम ने नाराज़ होकर कहा “ठीक है, यदि तुम यह नहीं करोगे तो मैं किसी और से करवा लूँगा,”।
उसके बहुत खोजने के बाद भी उसे कोई वास्तुकार नहीं मिला, जो बिना नींव के घर बना सके
वास्तुकार खोजते खोजते राम किसी ग्राम में पहुँच गया जहां बुद्ध भगवान की सभा चल रही थी, वहाँ जाकर राम ने बुद्ध को अपनी समस्या बताई और समाधान जानना चाहा।
बुद्ध बोले, बिना नींव के घर कभी नहीं बन सकता, और यदि बन भी गया तो वह बारिश, आँधी और गर्मी को सह नहीं पाएगा, बल्कि समय से पहले ही गिर जाएगा। जिस तरह पेड़ को ऊँचा उठने के लिये अपनी जड़ो से धरती को पकड़ना होता है, बैसे ही घर को भी नींव की ज़रूरत होती है।
जिसके बाद राम को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भी श्याम की तरह तीन मंज़िला मकान बनवा लिया।
Gautam Buddha Story in Hindi | अहंकार का उपहार
बुद्ध की सीख- यदि नींव मज़बूत होगी तो ही घर मज़बूती के साथ खड़ा रह पाएगा, उसी तरह किसी बड़े कार्य को संपन्न करने के लिए उसकी नींव सबसे मज़बूत बनानी चाहिए एवं काम को एक योजना बनाकर सही तरीक़े से किया जाना चाहिए।